कर्म और भाग्य की भाग्य Vs कर्म निराली महिमा, जिसने सही मर्म समझा-जाना, वह सफल हुआ
धन प्राप्ति के लिए घर की इस दिशा में रखें लक्ष्मी यंत्र
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न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
(मुझे लगा जैसे मैं अपने ही बनाये हुए जाल में फंस रहा था)
कर्म और भाग्य मे भाग्य बड़ा होता है,कर्म भी हम भाग्य अनुसार ही करते हैं
हम सब जानते हैं असफलताओं और मेहनत से भरा ये सफ़र आसान नहीं है
क्या हर चाय वाला इतना करता है
एक बूँद के भाग्य में क्या है वो धरा पे गिरकर मिट्टी में मिल जायेगी या सीप में गिर के मोती बन जायेगी ये तभी सुनिश्चित होगा जब वो बादलों को छोड़ने का कर्म करेगी.
राजकीय सेवा पाने के लिए संघर्षरत कोई युवा जब प्रतियोगिता में अपेक्षित प्रतिशत प्राप्तांक प्राप्त करने के बाद भी सिर्फ इस लिए उसे चयनित नही किया जाता की उसे संविधान में आरक्षण प्राप्त नही है। आप उस युवा की इस आधारहीन विफलता पर उससे क्या कहेंगे की कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता हैं???????
यदि आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!
भाग्य कुछ नहीं होता बस भविष्य होता है कर्म सोच और मेहनत का परिणाम है. अगर आप सही कर्म के सारे दाव पेंच अच्छे से निभा रहे है.
प्रेमानंद महाराज से जानिये कि क्या कर्म द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है